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ज्वलंत मुद्दाः गरीबी, बेरोजगारी, युवा, आरक्षण.. क्या यही है बदलते देश की सूरत?

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आज भारत में युवाओं की संख्या विश्व में सबसे अधिक है। युवाओं को देश का बेहतरीन भविष्य माना जाता है। पर क्या हो जब जिनसे हम बेहतरीन भविष्य की उम्मीद लगाए बैठे हैं उनका वर्तमान समय ही बेहद नाजुक और खराब हो। आज के समय में देश के युवाओं को सबसे ज्यादा बेरोजगारी की मार सहनी पड़ रही है। केवल बेरोजगारी ही नहीं उसके साथ गरीबी, आरक्षण जैसी भी कई परेशानियां हैं जो उसे अंदर ही अंदर कमजोर बना रहा है।

नई दिल्लीः सरकार और समाज का ये मानना है कि यदि देश के युवाओं को अच्छी तरह से शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण दिया जाए तो इनको न केवल अच्छा रोजगार मिलेगा बल्कि यह देश के आर्थिक विकास में भी अच्छा योगदान दे सकते हैं।

पर देश के हालात कुछ और ही बयां कर रहे हैं। युवाओं के बीच बेरोजगारी बढ़ती चली जा रही है। जिसकी वजह से वो देश के हित के बजाय उसे नुकसान पहुंचाने वालों कामों में ज्यादा सहयोग दे रहे हैं। इनमें मुख्यरूप से आरक्षण को लेकर प्रदर्शन (मराठा, जाट और पटेल), कश्मीर में सेना पर पत्थरबाजी, ‘गो रक्षक’ के नाम पर हिंसा करते देखा गया है।

अगर पिछले कुछ वर्षों के आकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि देश के आर्थिक सर्वे के अनुसार, कुल बेरोजगारी दर 2011-12 में 3.8 पर्सेंट से बढ़कर 2015-16 में 5.0 पर्सेंट हो गई है। विशेष रूप से युवाओं में बेरोजगारी दर अधिक तेजी से बढ़ रही है।

वर्तमान सरकार को देश की आर्थिक विकास दर से ज्यादा आज रोजगार सृजन पर ध्यान देने की जरूरत है। जिस तरह से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ‘ऑटोमेशन’ की वजह से पूरे विश्व में नौकरियों की कटौती हो रही हैं।

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