भारत का टॉपर्स हब क्यों बना बिहार ?

संघर्ष से सफलता तक: क्यों बिहार बन गया है UPSC टॉपर्स की भूमि

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Patna: हर साल जब UPSC का रिज़ल्ट आता है, टॉपर्स की लिस्ट में बिहार के छात्रों की मौजूदगी हमेशा बनी रहती है। कई बार टॉप 10 में तीन से चार नाम सिर्फ बिहार से होते हैं। तो आखिर इस पिछड़े कहे जाने वाले राज्य से इतनी बड़ी संख्या में सिविल सर्विस टॉपर्स क्यों निकलते हैं? इसका जवाब सिर्फ मेहनत नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं में छिपा है। आइए जानते हैं एक अलग नजरिए से।

सीमित संसाधन, अनलिमिटेड महत्वाकांक्षा
बिहार के अधिकतर छात्र गांव या छोटे कस्बों से आते हैं, जहां प्राइवेट नौकरियों के अवसर सीमित हैं। ऐसे में UPSC उनके लिए सबसे बड़ी उड़ान का प्रतीक बन जाता है। यहां सरकारी नौकरी को न सिर्फ नौकरी, बल्कि सम्मान और सामाजिक सुरक्षा का पर्याय माना जाता है।

शिक्षा नहीं, इमेज बनती है
बिहार के समाज में IAS/IPS अफसर की छवि अब भी सबसे ऊंचे दर्जे की है। कई बार बच्चे खुद नहीं, बल्कि परिवार और समाज की इच्छाओं के कारण UPSC की तैयारी शुरू करते हैं। यहां सिविल सेवा केवल करियर नहीं, “स्टेटस सिंबल” है।

बौद्धिक बहस की संस्कृति
चाय की दुकानों से लेकर कोचिंग सेंटर्स तक, बिहार में हर जगह राजनीतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक मुद्दों पर चर्चा आम है। ये अनौपचारिक बहसें छात्रों में विश्लेषण क्षमता और करंट अफेयर्स की समझ को निखारती हैं जो UPSC के लिए जरूरी स्किल्स हैं।

पटना: मिनी राजेंद्र नगर मॉडल
राजधानी पटना का राजेंद्र नगर, UPSC की तैयारी का हब बन चुका है। छोटे शहरों से आए छात्र एक-दूसरे को मोटिवेट करते हैं, नोट्स शेयर करते हैं और सामूहिक अध्ययन करते हैं। यह कम्यूनिटी मॉडल उन्हें अकेलेपन और अवसाद से भी बचाता है।

संघर्ष ने सिखाया धैर्य
बिजली कटौती, इंटरनेट की कमी, लाइब्रेरी की भीड़ बिहार के छात्रों को ऐसी समस्याएं रोज झेलनी पड़ती हैं। यही संघर्ष उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है, जो UPSC जैसी कठिन परीक्षा में निर्णायक साबित होता है।

निष्कर्ष
बिहार का UPSC में दबदबा कोई संयोग नहीं, बल्कि संघर्ष, महत्वाकांक्षा और सामाजिक संरचना का परिणाम है। यहां का हर छात्र सिर्फ एक परीक्षा नहीं, पूरे सिस्टम से लड़ रहा होता है और यही उसे टॉपर बनाता है।

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