New Delhi: दिल्ली में रविवार को 12 वार्डों के उपचुनाव के लिए वोटिंग प्रक्रिया शांतिपूर्ण रही। सुबह 7:30 बजे से शुरू होकर शाम 5:30 बजे तक मतदान हुआ और किसी प्रकार की अव्यवस्था या तकनीकी खराबी की खबर नहीं मिली। अब 51 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद है और नतीजे 3 दिसंबर को घोषित होंगे, जिन पर दिल्ली की नजरें टिकी हैं।
एमसीडी पार्षद की सैलरी और भत्ते
दिल्ली नगर निगम के पार्षदों की सैलरी और सुविधाएं अक्सर चर्चा का विषय बनी रहती हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, एक एमसीडी पार्षद को सालाना करीब 4.9 लाख रुपये का पैकेज मिलता है, यानी हर महीने लगभग 41,000 रुपये की सैलरी। इसके अलावा पार्षदों को कई भत्ते भी दिए जाते हैं, जिनमें मीटिंग अलाउंस, ट्रैवल से जुड़ी सुविधाएं और ऑफिस खर्च शामिल हैं।
वार्ड के विकास के लिए फंड
दिल्ली के पार्षदों के पास अपने-अपने वार्ड के विकास के लिए 1 करोड़ रुपये तक का फंड होता है। इस फंड का इस्तेमाल सड़कों की मरम्मत, नालियों की सफाई, पार्कों के रखरखाव और अन्य स्थानीय कामों के लिए किया जाता है। हालांकि, कई बार पार्षद यह फंड समय पर इस्तेमाल नहीं कर पाते, क्योंकि फंड तभी जारी होता है जब वे किसी प्रोजेक्ट की शुरुआत करते हैं।
एमसीडी पार्षद बनने के नियम
एमसीडी पार्षद बनने के लिए कुछ खास नियमों का पालन करना होता है। उम्मीदवार का नाम अपने वार्ड की वोटर लिस्ट में होना जरूरी है। साथ ही उम्मीदवार की उम्र कम से कम 21 साल होनी चाहिए और उसे 10वीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त होना चाहिए। इसके अलावा, उम्मीदवार को दिल्ली का मान्य मतदाता भी होना चाहिए।
पार्षद का काम और जिम्मेदारियां
एमसीडी पार्षद का काम काफी जिम्मेदारी वाला होता है। उन्हें अपने वार्ड में सफाई व्यवस्था, सड़कों की स्थिति, नालियों की सफाई, पार्कों का रखरखाव और सार्वजनिक संपत्तियों की देखरेख करने के अलावा कई अन्य स्थानीय मुद्दों पर भी नजर रखनी होती है। पार्षदों को जनता की शिकायतों का समाधान करना और उनकी समस्याओं को निगम तक पहुंचाना होता है।
आखिर क्या है एमसीडी का महत्व?
दिल्ली नगर निगम (MCD) का कार्यक्षेत्र बहुत बड़ा है, जिसमें शहर के सफाई, सड़क निर्माण, जल आपूर्ति, पार्कों और अन्य सुविधाओं की देखरेख करना शामिल है। एमसीडी पार्षद इन कार्यों की निगरानी करते हैं, जिससे नागरिकों को बेहतर सेवाएं मिल सकें।
